Adivasi in Elections : आखिर क्यों चुनाव से समय सरकारों और बिपक्ष को याद आते है आदिवासी, क्या है गुप्त सीक्रेट?

Adivasi in Elections

Adivasi in Elections : डेस्क रिपोर्ट, जयपुर : जब भी चुनावो का समय आता है तो किस चुनावी कड़ी में सरकार सहित बिपक्षी पार्टी आदिवासी समाज को साधने में लग जाती है, आखिर ऐसा क्यों किया जाता है, वही लोगो के कुछ ऐसे सवालो का उत्तर भी आज हम इसी खबर में देने जा रहे है जो उन्होंने आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 में हमसे किया वही मोदी सरकार के 400 पार वाले आंकड़े पर भी आज हम आपको एक डाटा बताएँगे। 

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Adivasi in Elections : भारत में क्या है आदिवासी समाज की गणना

कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने केंद्र समाज पर यह आरोप लगाया है की केंद्र सरकार आखिर जाती जनगणना क्यों नहीं कराती है जिसमे किस बर्ग के कितने ब्यक्ति भारत में मौजूद है उसका एक आंकड़ा मिल सके क्यों सन 2011 से यह गणना थमी हुई है जहा 2011 Census Report में पता चला है की देश में करीब 8.6 % आदिवासी मौजूद है जिनका आंकड़ा 104.3 मिलियन पर पहुंचेगा।

आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति भी कहा जा रहा है, इस समूह को एक प्रमुख समूह के रूप में लिया जा रहा है जिसका राजनीति से कोई संबंध नहीं है और वेब पर उपलब्ध नवीनतम आंकड़ों के अनुसार इसके अधिकांश सदस्य गरीबी रेखा से नीचे हैं।

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Adivasi Samaj in Elections : अनुसूचित जाति की शिक्षा की नवीनतम रिपोर्ट देखें

आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) रिपोर्ट में प्रकाशित नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (मोस्पी) द्वारा जारी सार्वजनिक रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 मे साक्षरता दर 72.1% है जबकि डेटा 2011 में यह केवल 59% थी जो अब अधिक प्रतिशत हिस्सेदारी तक पहुंच गई है।

बड़े वोट शेयर के कारण पॉलिटिक्स का शिकार

एक सवाल लोगो के द्वारा अधिक पूछा जा रहा था की आखिर क्यों चुनावो के समय ही सरकारों को आदिवासियों की याद क्यों आती है तो इसका एक प्रमुख कारण आदिवासी और पिछड़ा बर्ग को अपना हतियार बनाना है जिसमे मुख्य रूप से गरीबी रेखा के नीचे ही ज्यादातर आदिवासी और पिछड़ा बर्ग आते है जहा सरकारों को उन लोगो को मजबूत करना चाहिए वही देश की भाजपा सरकार उनको मजबूत करने की जगह उनको और कमजोर बनाने का काम कर रही है।

भारत में इस समय सबसे ज्यादा जरुरत जाती जनगणना की बनी हुई है क्योकि पिछले 14 साल से देश में कोई भी सेंसस की रिपोर्ट पब्लिश नहीं हुई है वही जो बदलाब पिछले इन सालो में हुए है वह भी आज तक इन रिपोर्ट के जरिये नही खुले है क्योकि अगर एक बार एक रिपोर्ट खुली तो भारतीय जनता पार्टी को लोगो को जबाब देना होगा की आखिर क्यों आदिवासियों को सरकारी भर्ती नहीं दी जाती है वही उससे बड़ा सवाल को यह है की आज भी आदिवासी समाज पावर्टी लाइन से नीचे क्यों है।

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